हिंदी उपन्यासों में बाल श्रम और सामाजिक असमानता
Abstract
हिंदी साहित्य, विशेषकर उपन्यास विधा, समाज के यथार्थ को प्रतिबिंबित करने का एक सशक्त माध्यम रहा है। बाल श्रम और सामाजिक असमानता जैसे जटिल और संवेदनशील विषयों पर अनेक हिंदी उपन्यासकारों ने गहन विमर्श प्रस्तुत किया है। उपन्यासों में बाल श्रमिकों की दुर्दशा, उनके अधिकारों का हनन, तथा समाज की असंवेदनशीलता को मार्मिक रूप से चित्रित किया गया है।
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