अजमेर और पुष्कर हिन्दू - मुस्लिम धार्मिक सह-अस्तित्व का ऐतिहासिक अध्ययन
Abstract
अजमेर और पुष्कर भारत के उन ऐतिहासिक नगरों में सम्मिलित हैं जहाँ हिन्दू-मुस्लिम धार्मिक सह-अस्तित्व की सशक्त परंपरा देखने को मिलती है। यह शोध पत्र इन दोनों स्थलों की ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण करते हुए इस बात की पड़ताल करता है कि किस प्रकार सूफी, संत और तीर्थ परंपराएँ पारस्परिक सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को पोषित करती रही हैं। अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर न केवल अपने-अपने धर्मों के लिए पवित्र स्थल हैं, बल्कि वे इस बात का भी प्रतीक हैं कि विभिन्न धार्मिक समुदाय किस प्रकार एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रह सकते हैं। यह अध्ययन लोक परंपराओं, तीर्थ यात्राओं, मेलों और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में परिलक्षित धार्मिक संवाद को उजागर करता है। शोध यह भी दिखाता है कि किस प्रकार ऐतिहासिक कालखंडों में राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक शक्तियाँ सह-अस्तित्व को दिशा देती रही हैं। वर्तमान सांप्रदायिक तनावों की पृष्ठभूमि में, यह ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक बहुलता के महत्व को रेखांकित करता है। यह लेख न केवल अतीत को समझने का प्रयास है, बल्कि समकालीन भारत के लिए भी एक संभावित सामाजिक मार्गदर्शन प्रस्तुत करता है।
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