भारतीयता का सूत्र-एकता
Abstract
अगली शताब्दी की संभावनाऐें अद्भुत, अनुपम और अभूतपूर्व है। भारत में वैज्ञानिक, बौद्धिक और औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ ही उदार चेतना का अवमूल्यन भी इन्ही दिनों हुआ है। जिनके कारण प्रगति के नाम पर जो कुछ हस्तगत हुआ है, उसका दुरूप्रयोग होने पर परिणाम उल्टे रूप में ही सामने आये हैं। सुविधा साधन अवश्य बढे हैं, पर उलझे मानस ने न केवल व्यक्तित्व का स्तर गिराया है वरन साधनों को इस बुरी तरह प्रयुक्त किया है कि पिछले पूर्वजों की सामान्य स्थिति की तुलना में हम कहीं अधिक समस्याओं में उलझे और विपत्तियों में घिर गये हैं। दलदल में फँस जाने जैसी स्थिति अवश्य है, पर ऐसा नहीं हो सकता कि देवत्व से एक सीढ़ी नीचे ही समझा जाने वाला मनुष्य असहाय बनकर अपना सर्वनाश ही देखता रहे, समय आते रहते न चेते।
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